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कविता

नाव

श्रीप्रकाश शुक्ल


नाव चलती है

हम ठहर जाते हैं

इस पार

नाव ठहरती है

हम चलने लगते हैं

उस पार!

('रेत में आकृतियाँ' संग्रह से)


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हिंदी समय में श्रीप्रकाश शुक्ल की रचनाएँ